दतिया जिले के सेवड़ा अनुभाग में स्थित सनकुआ धाम से निकलने वाली सिंध नदी की जलधारा इस क्षेत्र की सुंदरता को रमणीय एवं अद्वितीय बनाती है। साथ ही सनकुआ से बहने वाला मनोहारी झरना एवं आस-पास स्थित धार्मिक स्थल यहां की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। सनकुआ कुंड के इस झरने का मनोहारी दृश्य देखते ही बनता है। जहां एक ओर विध्याचल पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा यह क्षेत्र प्रकृति के बीच होने का अहसास देता है, वहीं दूसरी ओर इस तपोस्थली की भूमि पर प्रकृति प्रदत्त कई उदाहरण है जिनके कारण विहंगम दृश्य देखते ही बनता है।
सनकुआ सिंध नदी के घाट पर स्थित घाट को सनकुआ धाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ ब्रह्मा जी के चार पुत्रों मानस पुत्रों के सनक, सनंदन, सनातन एवं सनत कुमार ने तपस्या की थी। कार्तिक मास में एक माह लगने वाला मेला श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहता है। संकुआ धाम को मान्यता यह भी है कि इसे तीर्थों का भांजा भी कहा जाता है इसलिए इस घाट पर स्नान करने से बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। यहां पर प्रकृति के कई ऐसे नजारे हैं जो इतिहास के पन्नों पर आज भी अमर है।
वहीं सेंवढ़ा में कन्हरगढ़ दुर्ग और सनकुआ धाम के अलावा जिंदमीर की तीन सौ फुट ऊंची करार, अतीखेरे के हनुमान, जिंदपीर, शीतला माता, हरदोल बाग, बारहद्वारी, सनकेश्वर घाट पर गौमुख, शुक्राचार्य मठ, बतखण्डेश्वर मंदिर, बालाजी मंदिर, गूढस्या मठ, तीन कलश याऊ, रामहोराम की बगिया सेवा के निकट जंगल में सिद्ध की रड्या, शिकार गाह, रतनगढ़ माता मंदिर, देवगढ़ का किला, आमखो पसरसा की बावड़ी आदि ऐतिहासिक महत्व के दर्शनीय स्थल है।

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